प्राचीन भारत का इतिहास, सामान्य ज्ञान

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7. जैनधर्म, महावीर स्वामी और जैनधर्म का प्रसार, जैन साहित्य और धर्मशास्त्र

जैनधर्म

जैनधर्म भारत के प्राचीन धर्मों में से एक है, जिसका मुख्य उद्देश्य आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति है। इस धर्म का पालन करने वाले अनुयायी "जैन" कहलाते हैं। जैनधर्म का मूल सिद्धांत अहिंसा (अहिंसा परमो धर्म) है, जो हर जीव के प्रति अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी करना), ब्रह्मचर्य (इन्द्रिय संयम), और अपरिग्रह (अल्प-संपत्ति) का पालन करने पर बल देता है।

1. महावीर स्वामी और जैनधर्म का प्रसार

महावीर स्वामी:
जैनधर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी थे, जिनका जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व हुआ था। उनका जन्म वर्तमान बिहार के वैशाली जिले के कुंडग्राम में हुआ था। महावीर स्वामी का जन्म एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था और उनका मूल नाम वर्धमान था। उन्होंने 30 वर्ष की आयु में गृह त्याग कर संयासी जीवन अपनाया और 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की। इसके बाद उन्हें "कैवल्य" (पूर्ण ज्ञान) की प्राप्ति हुई, और वे "महावीर" और "जिन" (विजेता) कहलाए।

जैनधर्म का प्रसार:
महावीर स्वामी ने अपने उपदेशों के माध्यम से जैनधर्म का प्रसार किया। उन्होंने अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह और अस्तेय के सिद्धांतों को प्रचारित किया। महावीर स्वामी ने अपने अनुयायियों को स्वयं के आत्मनिरीक्षण और आत्मसंयम का मार्ग अपनाने का उपदेश दिया। उनके उपदेशों ने तत्कालीन समाज को गहराई से प्रभावित किया और जैनधर्म के अनुयायियों की संख्या में वृद्धि हुई। उनके अनुयायी जैन मुनि कहलाते हैं, जो संयम और तपस्या के मार्ग पर चलते हैं।

2. जैन साहित्य और धर्मशास्त्र

जैन साहित्य:
जैनधर्म का साहित्य अत्यधिक समृद्ध है और इसे "आगम" कहा जाता है। आगम ग्रंथों को श्वेतांबर और दिगंबर जैन समुदायों में विभाजित किया गया है। श्वेतांबर जैन समुदाय के अनुसार, उनके आगम ग्रंथ 45 होते हैं, जबकि दिगंबर जैन इनकी संख्या को अधिक मानते हैं। जैन साहित्य में तत्त्वार्थ सूत्र, उपासकदशा, कल्पसूत्र, आदि प्रमुख ग्रंथ हैं।

धर्मशास्त्र:
जैन धर्मशास्त्र मुख्य रूप से कर्म सिद्धांत पर आधारित है। इसके अनुसार, प्रत्येक कर्म का फल अवश्य मिलता है, और मोक्ष प्राप्ति के लिए सभी कर्मों से मुक्त होना आवश्यक है। जैन धर्मशास्त्र में "त्रिरत्न" (सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, और सम्यक् चरित्र) का विशेष महत्व है, जो मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक माने जाते हैं। जैनधर्म में भगवान महावीर की शिक्षाओं को ही धर्मशास्त्र का आधार माना जाता है।

जैनधर्म का प्रभाव भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य, और दर्शन पर गहरा है। इसके सिद्धांत आज भी अनुयायियों द्वारा अपनाए जाते हैं और समाज को नैतिकता और संयम की दिशा में प्रेरित करते हैं।

  

महत्वपूर्ण बिंदु

जैनधर्म

1. जैनधर्म का परिचय (Introduction to Jainism):

  • जैनधर्म का अर्थ:
    • जैनधर्म भारत का एक प्राचीन धर्म है, जो आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अहिंसा, सत्य, और तपस्या पर आधारित है।
    • इस धर्म के अनुयायियों को 'जैन' कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'विजेता' – जो अपनी इच्छाओं और कर्मों पर विजय प्राप्त करता है।
  • तीर्थंकर:
    • जैन धर्म के अनुसार, समय-समय पर 24 तीर्थंकरों ने धरती पर आकर धर्म का प्रचार किया।
    • पहले तीर्थंकर ऋषभदेव थे और अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी थे।

2. महावीर स्वामी (Mahavira Swami):

  • महावीर स्वामी का जन्म:
    • महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व में बिहार के वैशाली राज्य के कुंडग्राम में हुआ था।
    • वे एक क्षत्रिय राजकुमार थे और उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था।
  • संन्यास और ज्ञान प्राप्ति:
    • महावीर ने 30 वर्ष की आयु में घर त्यागकर संन्यास ले लिया और 12 वर्षों की कठोर तपस्या के बाद उन्हें 'कैवल्य' ज्ञान की प्राप्ति हुई।
    • उन्हें 'जिन' (विजेता) की उपाधि मिली, जिसका अर्थ है इंद्रियों और इच्छाओं पर विजय प्राप्त करने वाला।
  • महावीर स्वामी के प्रमुख उपदेश:
    • महावीर स्वामी ने पंच महाव्रत (पाँच प्रमुख व्रत) का प्रचार किया:
      • अहिंसा (Non-violence),
      • सत्य (Truth),
      • अस्तेय (Non-stealing),
      • ब्रह्मचर्य (Celibacy),
      • अपरिग्रह (Non-possessiveness)
    • उन्होंने कर्म सिद्धांत पर बल दिया, जिसमें कर्मों का संचय और उनके फल का अनुभव आत्मा की स्थिति को निर्धारित करता है।

3. जैनधर्म का प्रसार (Spread of Jainism):

  • महावीर स्वामी द्वारा प्रसार:
    • महावीर स्वामी ने अपने ज्ञान और उपदेशों का प्रचार उत्तरी भारत के विभिन्न भागों में किया। उन्होंने अहिंसा और तपस्या पर जोर दिया, जिससे जैन धर्म का प्रभाव समाज में बढ़ा।
  • राजाओं का संरक्षण:
    • जैन धर्म को कई राजाओं और व्यापारियों का संरक्षण प्राप्त हुआ, जैसे मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और कर्नाटक के गंग वंश के राजाओं ने इसे प्रोत्साहन दिया।
    • विशेषकर दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रभाव कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में भी व्यापक रूप से फैला।
  • अशोक के बाद प्रसार:
    • मौर्य सम्राट अशोक के पौत्र सम्राट सम्प्रति ने जैन धर्म के प्रचार में विशेष भूमिका निभाई। उसने विभिन्न स्थानों पर जैन धर्म के मंदिर और विहारों का निर्माण करवाया।
  • विदेशों में प्रसार:
    • व्यापारियों और संन्यासियों के माध्यम से जैन धर्म का प्रसार दक्षिण पूर्व एशिया के देशों जैसे श्रीलंका और बर्मा (म्यांमार) में हुआ।

4. जैन साहित्य (Jain Literature):

  • अगम ग्रंथ (Agama Texts):
    • जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथों को अगम ग्रंथ कहा जाता है। ये महावीर स्वामी के उपदेशों और सिद्धांतों का संग्रह हैं।
    • अगम ग्रंथ मुख्यतः दो भागों में बंटे हुए हैं:
      • स्वेतांबर ग्रंथ: यह श्वेतांबर संप्रदाय द्वारा मान्यता प्राप्त ग्रंथ हैं।
      • दिगंबर ग्रंथ: यह दिगंबर संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा माने जाने वाले ग्रंथ हैं।
  • आचारांग सूत्र (Acharanga Sutra):
    • यह जैन धर्म का सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें महावीर स्वामी के जीवन और उनके उपदेशों का विवरण मिलता है।
  • कल्पसूत्र (Kalpa Sutra):
    • कल्पसूत्र में महावीर स्वामी के जीवन, तीर्थंकरों की जीवनी और जैन धर्म के अनुशासन और नियमों का उल्लेख है।
  • तत्त्वार्थसूत्र (Tattvartha Sutra):
    • यह ग्रंथ जैन धर्म का प्रमुख दार्शनिक ग्रंथ है, जिसमें जैन धर्म के सिद्धांतों का विवेचन किया गया है। इसे उमास्वाति ने लिखा है।
  • महापुराण (Mahapurana):
    • यह जैन धर्म का ऐतिहासिक और धार्मिक ग्रंथ है, जिसे आचार्य जिनसेन और गुणभद्र ने लिखा था। इसमें तीर्थंकरों और अन्य धार्मिक व्यक्तियों की कथाएँ हैं।

5. धर्मशास्त्र (Religious Texts and Philosophy):

  • जैन धर्म के सिद्धांत:
    • अहिंसा (Non-violence): सभी जीवों के प्रति करुणा और अहिंसा का पालन करना जैन धर्म का प्रमुख सिद्धांत है।
    • सत्य (Truth): सच्चाई का पालन और किसी भी प्रकार का झूठ बोलने पर जोर दिया गया है।
    • अपरिग्रह (Non-possessiveness): भौतिक वस्त्रों, धन, और संपत्ति का मोह त्यागना।
    • अनेकांतवाद (Anekantavada): यह सिद्धांत कहता है कि सत्य के विभिन्न पक्ष हो सकते हैं और सभी दृष्टिकोणों का सम्मान किया जाना चाहिए।
    • कर्म सिद्धांत (Karma Doctrine): यह सिद्धांत कहता है कि व्यक्ति के कर्म उसके वर्तमान और भविष्य के जीवन को निर्धारित करते हैं। मोक्ष के लिए अच्छे कर्म करना आवश्यक है।
  • जैन धर्म और मोक्ष:
    • जैन धर्म के अनुसार, मोक्ष का अर्थ है जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति।
    • मोक्ष प्राप्त करने के लिए तपस्या, योग, और आत्मशुद्धि की आवश्यकता होती है। इसे कैवल्य की स्थिति कहा जाता है, जहाँ आत्मा शुद्ध हो जाती है।
  • दो प्रमुख संप्रदाय:
    • श्वेतांबर संप्रदाय: इस संप्रदाय के अनुयायी सफेद वस्त्र पहनते हैं और वे मानते हैं कि मोक्ष प्राप्ति के बाद भी संन्यासी भोजन करते हैं।
    • दिगंबर संप्रदाय: दिगंबर संप्रदाय के अनुयायी नग्न रहते हैं और उनका मानना है कि मोक्ष प्राप्ति के बाद संन्यासी भोजन का त्याग कर देते हैं।

 

जैनधर्म पर आधारित 20 बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर:

  1. महावीर स्वामी का जन्म कहाँ हुआ था?
    (a) अयोध्या
    (b) कुंडग्राम
    (c) वाराणसी
    (d) पाटलिपुत्र
    उत्तर: (b) कुंडग्राम
  2. महावीर स्वामी के जन्म का मूल नाम क्या था?
    (a) सिद्धार्थ
    (b) वर्धमान
    (c) नंदीवर्धन
    (d) जिनेश्वर
    उत्तर: (b) वर्धमान
  3. महावीर स्वामी कितनेवें तीर्थंकर थे?
    (a) 23वें
    (b) 24वें
    (c) 22वें
    (d) 21वें
    उत्तर: (b) 24वें
  4. महावीर स्वामी ने कितने वर्षों की तपस्या के बाद कैवल्य प्राप्त किया?
    (a) 10 वर्ष
    (b) 12 वर्ष
    (c) 15 वर्ष
    (d) 18 वर्ष
    उत्तर: (b) 12 वर्ष
  5. जैनधर्म के अनुयायी महावीर स्वामी को किस नाम से संबोधित करते हैं?
    (a) बुद्ध
    (b) जिन
    (c) महात्मा
    (d) अर्हत
    उत्तर: (b) जिन
  6. जैनधर्म का मूल सिद्धांत कौन सा है?
    (a) सत्य
    (b) अहिंसा
    (c) अस्तेय
    (d) ब्रह्मचर्य
    उत्तर: (b) अहिंसा
  7. जैनधर्म के प्रमुख साहित्य को क्या कहा जाता है?
    (a) वेद
    (b) त्रिपिटक
    (c) आगम
    (d) पुराण
    उत्तर: (c) आगम
  8. श्वेतांबर जैनों के अनुसार उनके आगम ग्रंथों की संख्या कितनी है?
    (a) 45
    (b) 32
    (c) 28
    (d) 50
    उत्तर: (a) 45
  9. जैनधर्म में 'त्रिरत्न' क्या है?
    (a) सत्य, अहिंसा, अस्तेय
    (b) सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चरित्र
    (c) ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, अहिंसा
    (d) अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह
    उत्तर: (b) सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चरित्र
  10. महावीर स्वामी का मोक्ष किस स्थान पर हुआ था?
    (a) पावापुरी
    (b) राजगृह
    (c) वैशाली
    (d) श्रावस्ती
    उत्तर: (a) पावापुरी
  11. जैनधर्म में 'अहिंसा परमो धर्म' का अर्थ क्या है?
    (a) सत्य ही सर्वोच्च धर्म है
    (b) अहिंसा ही सर्वोच्च धर्म है
    (c) तपस्या ही सर्वोच्च धर्म है
    (d) ब्रह्मचर्य ही सर्वोच्च धर्म है
    उत्तर: (b) अहिंसा ही सर्वोच्च धर्म है
  12. जैनधर्म के अनुयायी किसको 'तीर्थंकर' कहते हैं?
    (a) जो सभी पापों से मुक्त हो
    (b) जो मोक्ष का मार्ग दिखाए
    (c) जो तपस्या करे
    (d) जो सच्चे जीवन का मार्ग दिखाए
    उत्तर: (b) जो मोक्ष का मार्ग दिखाए
  13. जैन धर्मशास्त्र में किस सिद्धांत का प्रमुख स्थान है?
    (a) अहिंसा
    (b) कर्म सिद्धांत
    (c) पुनर्जन्म
    (d) मोक्ष
    उत्तर: (b) कर्म सिद्धांत
  14. महावीर स्वामी ने किस आयु में गृह त्याग किया था?
    (a) 25 वर्ष
    (b) 30 वर्ष
    (c) 35 वर्ष
    (d) 40 वर्ष
    उत्तर: (b) 30 वर्ष
  15. जैनधर्म का पालन करने वाले किस प्रकार का जीवन जीने का उपदेश दिया गया है?
    (a) संपन्न और विलासितापूर्ण
    (b) साधारण और संयमित
    (c) धार्मिक और उत्सवी
    (d) सामाजिक और मिलनसार
    उत्तर: (b) साधारण और संयमित
  16. जैनधर्म के किस साहित्य में महावीर स्वामी के उपदेशों का संग्रह है?
    (a) तत्त्वार्थ सूत्र
    (b) उपासकदशा
    (c) कल्पसूत्र
    (d) आचारांग सूत्र
    उत्तर: (d) आचारांग सूत्र
  17. जैनधर्म में मोक्ष प्राप्ति का मार्ग क्या है?
    (a) सत्य और धर्म
    (b) तपस्या और संयम
    (c) कर्म और पुनर्जन्म
    (d) ज्ञान और भक्ति
    उत्तर: (b) तपस्या और संयम
  18. जैनधर्म में भगवान महावीर की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    (a) समाज में सुधार
    (b) आत्मशुद्धि और मोक्ष
    (c) धार्मिक परंपराओं का पालन
    (d) सामाजिक सेवा
    उत्तर: (b) आत्मशुद्धि और मोक्ष
  19. जैनधर्म के किस सिद्धांत में सबसे अधिक बल दिया गया है?
    (a) अहिंसा
    (b) सत्य
    (c) ब्रह्मचर्य
    (d) अपरिग्रह
    उत्तर: (a) अहिंसा
  20. जैनधर्म के अनुसार संसार में कौन सी चीज़ स्थायी नहीं है?
    (a) आत्मा
    (b) कर्म
    (c) मोक्ष
    (d) सांसारिक वस्त्र
    उत्तर: (b) कर्म

ये प्रश्न जैनधर्म के प्रमुख सिद्धांतों, महावीर स्वामी के जीवन और उनकी शिक्षाओं पर आधारित हैं।

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