प्राचीन भारत का इतिहास, सामान्य ज्ञान
18. दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश चोल, चेर और पांड्य काकतीय और चालुक्य
दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश
दक्षिण भारत का इतिहास समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जिसमें कई प्रमुख राजवंशों ने शासन किया। इन राजवंशों ने न केवल क्षेत्रीय राजनीति में बल्कि कला, संस्कृति, और धर्म में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ हम चोल, चेर, पांड्य, काकतीय, और चालुक्य राजवंशों पर चर्चा करेंगे:
1. चोल राजवंश
चोल वंश दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली राजवंशों में से एक था। इनका शासन क्षेत्र वर्तमान तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के बड़े हिस्सों में फैला हुआ था।
- शासनकाल: चोल वंश का प्रारंभिक काल ईसा पूर्व 3वीं शताब्दी से शुरू होता है, लेकिन इनकी शक्ति का चरमकाल 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच था।
- प्रमुख शासक: राजराजा चोल और राजेंद्र चोल जैसे महान शासक इस वंश के प्रमुख थे।
- उपलब्धियाँ: चोलों ने दक्षिण भारत में स्थायी प्रशासनिक और आर्थिक व्यवस्था स्थापित की। इनकी नौसेना शक्तिशाली थी और इन्होंने श्रीलंका, मलय द्वीप समूह और सुदूर पूर्वी देशों पर भी विजय प्राप्त की।
- कला और वास्तुकला: चोल शासकों के संरक्षण में मंदिर निर्माण की अद्वितीय शैली विकसित हुई। तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर इसका उत्कृष्ट उदाहरण है।
2. चेर राजवंश
चेर वंश प्राचीन तमिलनाडु और केरल के क्षेत्रों पर शासन करने वाला एक महत्वपूर्ण दक्षिण भारतीय राजवंश था।
- शासनकाल: चेर वंश का शासनकाल ईसा पूर्व 3वीं शताब्दी से लेकर ईसा पश्चात 12वीं शताब्दी तक था।
- प्रमुख शासक: उडियान चेरल, सेनगुट्टुवन जैसे शासक इस वंश के प्रमुख थे।
- उपलब्धियाँ: चेर वंश के शासक महान योद्धा थे और उन्होंने व्यापार में उन्नति की। चेरल शासकों का यवनों और रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार संबंध था।
- धार्मिक योगदान: चेर शासकों ने बौद्ध धर्म और जैन धर्म को भी प्रोत्साहित किया।
3. पांड्य राजवंश
पांड्य वंश दक्षिण भारत का एक और प्रमुख राजवंश था, जो वर्तमान तमिलनाडु के दक्षिणी हिस्सों पर शासन करता था।
- शासनकाल: पांड्य वंश का प्रारंभिक काल ईसा पूर्व 3वीं शताब्दी से शुरू होता है और इनका प्रभाव 14वीं शताब्दी तक रहा।
- प्रमुख शासक: नेडुंजेलियन, श्रीमार श्रीवल्लभ जैसे शासक इस वंश के प्रमुख थे।
- उपलब्धियाँ: पांड्य शासकों ने महान समुद्री व्यापारियों के रूप में ख्याति प्राप्त की। इनके शासन में मदुरै एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र बन गया।
- कला और साहित्य: पांड्य वंश के दौरान तमिल साहित्य का विकास हुआ, और संगम साहित्य के महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना हुई।
4. काकतीय राजवंश
काकतीय वंश दक्षिण भारत के तेलंगाना क्षेत्र में शासन करने वाला एक प्रमुख राजवंश था।
- शासनकाल: काकतीय वंश का शासनकाल 12वीं से 14वीं शताब्दी तक था।
- प्रमुख शासक: प्रोलय नायक, गणपति देव और रुद्रमा देवी जैसे शासक इस वंश के प्रमुख थे।
- उपलब्धियाँ: काकतीय शासकों ने प्रभावशाली किले और जलाशयों का निर्माण किया। इनके शासन में वारंगल एक प्रमुख शहर और प्रशासनिक केंद्र बन गया।
- धार्मिक योगदान: काकतीयों ने शैव धर्म को प्रोत्साहन दिया और कई मंदिरों का निर्माण किया।
5. चालुक्य राजवंश
चालुक्य वंश दक्षिण भारत का एक और प्रमुख राजवंश था, जिसने विभिन्न कालखंडों में शासन किया।
- शासनकाल: चालुक्य वंश का प्रारंभिक काल 6वीं से 8वीं शताब्दी तक रहा। बाद में 10वीं से 12वीं शताब्दी तक पश्चिमी चालुक्य और कल्याणी चालुक्य के रूप में इनका शासन फिर से उभरा।
- प्रमुख शासक: पुलकेशिन II, विक्रमादित्य VI जैसे शासक इस वंश के प्रमुख थे।
- उपलब्धियाँ: चालुक्य शासकों ने प्रशासनिक और न्यायिक प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनके शासनकाल में अजय और वास्तुशिल्प का अद्वितीय विकास हुआ।
- कला और वास्तुकला: चालुक्य शासकों के संरक्षण में बादामी, ऐहोल, और पट्टदकल के मंदिरों की निर्माण शैली ने भारतीय वास्तुकला में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया।
दक्षिण भारत के इन राजवंशों ने न केवल क्षेत्रीय राजनीति में बल्कि भारतीय संस्कृति, कला, और धर्म में भी गहरा प्रभाव डाला। इनकी उपलब्धियाँ आज भी दक्षिण भारत की धरोहर के रूप में जीवित हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु
1. चोल राजवंश (Chola Dynasty):
- प्राचीनतम राजवंश:
- चोल दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन और शक्तिशाली राजवंशों में से एक थे। उनका शासन मुख्य रूप से तमिलनाडु और दक्षिणी आंध्र प्रदेश के क्षेत्रों में था।
- राजराजा चोल प्रथम (Rajaraja Chola I):
- चोल वंश के सबसे महत्वपूर्ण शासक राजराजा चोल प्रथम (985-1014 ईस्वी) थे, जिन्होंने चोल साम्राज्य को दक्षिण भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य बना दिया।
- उन्होंने श्रीलंका पर आक्रमण किया और उसके उत्तरी भाग को अपने साम्राज्य में मिला लिया। इसके साथ ही चोलों का साम्राज्य दक्षिणी भारत से लेकर श्रीलंका और मालदीव तक फैला।
- राजेंद्र चोल प्रथम (Rajendra Chola I):
- राजराजा चोल के पुत्र राजेंद्र चोल प्रथम (1014-1044 ईस्वी) ने अपने साम्राज्य का विस्तार बंगाल, ओडिशा, और गंगा नदी के किनारे तक किया। उन्होंने गंगाikonda चोलपुरम नामक एक नई राजधानी की स्थापना की।
- उन्होंने सुदूर पूर्व के देशों जैसे मलय द्वीप समूह और सुमात्रा पर भी विजय प्राप्त की, जिससे चोल साम्राज्य का समुद्री व्यापार बढ़ा।
- वास्तुकला और कला:
- चोल शासकों ने विशेष रूप से द्रविड़ शैली की वास्तुकला का विकास किया। उन्होंने कई भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया, जिनमें बृहदेश्वर मंदिर (तंजावुर) प्रमुख है।
- चोल काल में मूर्तिकला और कांस्य की मूर्तियाँ भी अत्यधिक प्रसिद्ध थीं, जिनमें नटराज की मूर्ति विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
2. चेर राजवंश (Cheras Dynasty):
- केरल और पश्चिमी तट पर शासन:
- चेर राजवंश का शासन मुख्य रूप से केरल और पश्चिमी तट के क्षेत्रों में था। यह वंश व्यापार और समुद्री गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध था।
- प्राचीनतम चेर राजा:
- चेर वंश के प्रमुख शासक उदियंचेरल और सेनगुट्टुवन थे। सेनगुट्टुवन को उनके धार्मिक कार्यों के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से उनकी भागीदारी सिलप्पादिकारम जैसे महान तमिल महाकाव्यों में उल्लेखनीय है।
- समुद्री व्यापार:
- चेरों ने रोम और अरब देशों के साथ समुद्री व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने मसाले, मोती, और अन्य वस्तुओं का निर्यात किया, जिससे उन्हें आर्थिक समृद्धि मिली।
- संगम साहित्य में चेरों का वर्णन:
- चेरों का उल्लेख प्राचीन संगम साहित्य में मिलता है, जिसमें उनकी वीरता और व्यापारिक उपलब्धियों का उल्लेख किया गया है। संगम युग में चेरों का तमिल संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
3. पांड्य राजवंश (Pandya Dynasty):
- दक्षिण तमिलनाडु का प्रमुख वंश:
- पांड्य वंश का शासन दक्षिणी तमिलनाडु में मदुरै और तिरुनेलवेली के क्षेत्रों में था। यह वंश समुद्री व्यापार, साहित्य, और कला में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध था।
- मदुरै राजधानी:
- पांड्य साम्राज्य की राजधानी मदुरै थी, जिसे धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में जाना जाता था। पांड्यों ने विशेष रूप से मीनाक्षी मंदिर का निर्माण करवाया।
- संगम काल का योगदान:
- पांड्य वंश का सबसे अधिक योगदान संगम साहित्य के संरक्षण और विकास में था। उन्होंने संगम सभाओं का आयोजन किया, जहाँ तमिल काव्य और साहित्य का सृजन हुआ।
- समुद्री व्यापार और विदेश नीति:
- पांड्य राजाओं ने समुद्री व्यापार में भी हिस्सा लिया और श्रीलंका, अरब, और चीन के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए। उनके व्यापारिक बंदरगाह जैसे कोरकई और कायलपत्तनम महत्वपूर्ण थे।
4. काकतीय राजवंश (Kakatiya Dynasty):
- तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पर शासन:
- काकतीय वंश का शासन मुख्य रूप से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के क्षेत्रों में था। उनकी राजधानी वारंगल थी।
- प्रमुख शासक (Prataparudra II):
- काकतीय वंश का सबसे महत्वपूर्ण शासक प्रतापरुद्र द्वितीय था, जिसने 13वीं शताब्दी में काकतीय साम्राज्य का विस्तार किया।
- काकतीय वास्तुकला:
- काकतीय शासकों ने अपने शासनकाल में कई प्रमुख मंदिरों और किलों का निर्माण करवाया, जिनमें रामप्पा मंदिर और वारंगल का किला प्रसिद्ध हैं। उनकी स्थापत्य कला में पत्थर की नक्काशी और मंदिर की संरचना अत्यधिक विकसित थी।
- काकतीय समाज और प्रशासन:
- काकतीय शासकों ने वेल्लालु प्रणाली के तहत जमीन का बंटवारा किया, जिससे किसानों को जमीन मिलती थी और वे करों का भुगतान करते थे। प्रशासनिक ढांचा मजबूत था और क्षेत्रीय स्तर पर सशक्त शासक नियुक्त किए गए थे।
5. चालुक्य राजवंश (Chalukya Dynasty):
- कर्नाटक में शासन:
- चालुक्य वंश ने कर्नाटक और महाराष्ट्र के क्षेत्रों में शासन किया। चालुक्य वंश की स्थापना 6वीं शताब्दी में हुई थी, और उनके प्रमुख केंद्र आहोल, बादामी, और पत्तदकल थे।
- पुलकेशिन द्वितीय (Pulakeshin II):
- पुलकेशिन द्वितीय चालुक्य वंश के सबसे महान शासक थे, जिन्होंने 610-642 ईस्वी के बीच शासन किया। उन्होंने हर्षवर्धन को पराजित कर दक्षिणी भारत में अपनी सत्ता को मजबूत किया।
- पुलकेशिन द्वितीय के समय चालुक्य साम्राज्य अपने चरम पर था और नर्मदा से दक्षिण में तक फैला हुआ था।
- चालुक्य वास्तुकला:
- चालुक्य शासकों ने अद्वितीय वास्तुकला का विकास किया, जिसे द्रविड़ और नागर शैली का संगम माना जाता है। पत्तदकल, आहोल, और बादामी के मंदिर चालुक्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- विरुपाक्ष मंदिर और दुर्गा मंदिर इस काल के प्रमुख मंदिर हैं।
- चालुक्य प्रशासन:
- चालुक्य शासकों ने एक सुदृढ़ प्रशासनिक ढांचा तैयार किया, जिसमें क्षेत्रों का बंटवारा और स्थानीय शासन तंत्र को सशक्त किया गया। उनके शासन में भूमि अनुदान और किसानों के हितों की रक्षा के लिए नीतियाँ बनाई गईं।
1. चोल
राजवंश का सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था?
a) विक्रमादित्य
b) अशोक
c) राजराजा चोल
d) हर्यक वंश
सही
उत्तर: c) राजराजा चोल
2. चोल
वंश का कौन सा मंदिर विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है?
a) मीनाक्षी
मंदिर
b) बृहदेश्वर मंदिर
c) सोमनाथ मंदिर
d) काशी विश्वनाथ मंदिर
सही
उत्तर: b) बृहदेश्वर मंदिर
3. चेर
वंश के शासक सेनगुट्टुवन किसके लिए प्रसिद्ध थे?
a) कावेरी
नदी पर बाँध बनवाने
के लिए
b) संगम साहित्य के संरक्षक के
रूप में
c) शैव धर्म के प्रचारक
के रूप में
d) गंगा नदी पर मंदिर
बनाने के लिए
सही
उत्तर: b) संगम साहित्य के
संरक्षक के रूप में
4. चेर
वंश का मुख्य व्यापारिक केंद्र कौन सा था?
a) कांचीपुरम
b) मदुरै
c) करूर
d) पत्तनम
सही
उत्तर: d) पत्तनम
5. पांड्य
वंश का मुख्य धार्मिक केंद्र कौन सा था?
a) तिरुवनंतपुरम
b) मदुरै
c) तंजावुर
d) मल्लापुरम
सही
उत्तर: b) मदुरै
6. पांड्य
शासक किस धर्म के प्रमुख संरक्षक थे?
a) बौद्ध
धर्म
b) जैन धर्म
c) शैव धर्म
d) वैष्णव धर्म
सही
उत्तर: c) शैव धर्म
7. काकतीय
वंश की सबसे प्रसिद्ध रानी कौन थी?
a) रुद्रमा
देवी
b) अहिल्याबाई होल्कर
c) लक्ष्मीबाई
d) पद्मिनी
सही
उत्तर: a) रुद्रमा देवी
8. काकतीय
वंश का प्रमुख किला कौन सा था?
a) गोलकुंडा
b) ग्वालियर
c) वारंगल
d) दौलताबाद
सही
उत्तर: c) वारंगल
9. चालुक्य
वंश के किस शासक ने हर्षवर्धन को हराया?
a) विक्रमादित्य
b) पुलकेशिन II
c) नरसिंहवर्मन
d) राजराजा चोल
सही
उत्तर: b) पुलकेशिन II
10. चालुक्य
वंश के काल में किस मंदिर का निर्माण हुआ?
a) तंजावुर
मंदिर
b) बादामी के रॉक-कट
मंदिर
c) मीनाक्षी मंदिर
d) सोमनाथ मंदिर
सही
उत्तर: b) बादामी के रॉक-कट
मंदिर
11. चोल
वंश के शासक किस नदी के किनारे शासन करते थे?
a) गंगा
b) नर्मदा
c) कावेरी
d) गोदावरी
सही
उत्तर: c) कावेरी
12. चेर
वंश के शासक किस भाषा का उपयोग करते थे?
a) संस्कृत
b) तमिल
c) तेलुगु
d) कन्नड़
सही
उत्तर: b) तमिल
13. पांड्य
वंश के दौरान किस साहित्यिक ग्रंथ की रचना हुई?
a) महाभारत
b) संगम साहित्य
c) रामायण
d) उपनिषद
सही
उत्तर: b) संगम साहित्य
14. काकतीय
वंश की राजधानी कौन सी थी?
a) कांची
b) वारंगल
c) मैसूर
d) मदुरै
सही
उत्तर: b) वारंगल
15. चालुक्य
वंश का कौन सा शहर उनके शासनकाल में प्रसिद्ध था?
a) ऐहोल
b) दिल्ली
c) वाराणसी
d) पटना
सही
उत्तर: a) ऐहोल
16. काकतीय
वंश की प्रमुख देवी कौन थी?
a) दुर्गा
b) महालक्ष्मी
c) भद्रकाली
d) सरस्वती
सही
उत्तर: c) भद्रकाली
17. चोल
वंश के शासक किस धार्मिक पुस्तक के अनुयायी थे?
a) वेद
b) पुराण
c) तिरुक्कुरल
d) रामचरितमानस
सही
उत्तर: c) तिरुक्कुरल
18. चेर
वंश के शासक किस प्रकार के व्यापार में संलग्न थे?
a) आंतरिक
व्यापार
b) समुद्री व्यापार
c) कृषि
d) वस्त्र निर्माण
सही
उत्तर: b) समुद्री व्यापार
19. पांड्य
वंश का प्रमुख बंदरगाह कौन सा था?
a) तंजावुर
b) मदुरै
c) कोरकाई
d) श्रीरंगम
सही
उत्तर: c) कोरकाई
20. चालुक्य
वंश के काल में किस प्रकार की स्थापत्य कला विकसित हुई?
a) गुफा
मंदिर
b) स्तूप
c) विशाल प्रवेश द्वार
d) रथ मंदिर
सही
उत्तर: a) गुफा मंदिर